बरमपुर, जहां स्वर्गारोहण को जाते पांडव दस दिन रूके अशोक मधुप वरिष्ठ पत्रकार बिजनौर जनपद का आज का गांव बरमपुर का बहुत ही एतिहासिक है, इसके बावजूद ये आज तक इतिहास में जगह नही बना पाया।जनपदवासी ये भी नही जानते कि यहां कभी पांडवों के कुल गुरू कृपाचार्य का आश्रम था। जानकारों के अनुसार बरमपुर का पौराणिक नाम ब्रह्मपुर है। यहां वैदिक काल में ब्रह्मऋषि आश्रम था। ब्रह्मपुर बोलचाल की भाषा में बरमपुर हो गया। बरमपुर के प्रसिद्ध विद्वान यशपाल सिंह आर्य के अनुसार बरमपुर फारसी भाषा का शब्द है। उर्दू और फारसी में ब्रह्मपुर नमो न लिखा जा सकता है और नहीं बोला जा सकता है । 15 ईसवीं में इस क्षेत्र पर मुगलों का पूर्ण अधिपत्य स्थापित हो गया। उसके बाद ब्रह्मपुर को बरमपुर बोलना शुरू किया । मान्यता है कि महाभारत काल में यहां हस्तिनापुर राज परिवार के राज गुरु कृपाचार्य का आश्रम था। यह आश्रम जनपद बिजनौर उत्तर प्रदेश जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर उत्तर दिशा में तथा नजीबाबाद तहसील मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर पश्चिम दक्षिण दिशा में ...