बिजनौर में पर्यटन की संभावनाएं
बिजनौर जनपद बिजनौर यह विश्व प्रसिद्ध वह स्थान है ,जहां राजा दुष्यंत और ऋषि कन्या शकुंतला के संसर्ग से भरत नामका बलवान पुत्र उत्पन्न हुआ।इसी भरत के नाम पर देश का नाम भारतवर्ष पड़ा । महाभारत के समय हस्तिनापुर राज्य के महामात्य विदुर की कुटी बिजनौर से लगभग 12 किलोमीटर दूर है। चांदपुर से चार किलोमीटर दूर सेन्धवार में गुरु द्रोणाचार्य का सैन्य प्रशिक्षण केंद्र था। यहीं रहकर कौरव और पांडव ने युद्ध कला सीखी । हस्तिनापुर की सैन्य छावनी भी यहीं थी। उस समय इसका नाम सैन्यद्वार था। ये बोलचाल की भाषा में आज सैंधवार हो गया। महाभारत काल और उससे पहले देवपुरी और पर्वतारोहण का रास्ता इसी भूमि से था। पांडवों स्वर्गारोहण को इसी भूमि से होकर गए। स्वर्गारोहण को जाते समय सर्वप्रथम द्रौपदी का निधन जनपद के गांव बरमपुर के पास हुआ। यहां आज द्रोपदी का मंदिर है। पर्यटन विभाग द्वारा सुन्दरीकृत कराया तालाब इस मंदिर के पास में स्थित है। कोटद्वार नजीबाबाद मार्ग पर प्राचीन महत्ता का स्थल मोरध्वज हैं। यहां बौद्ध स्तूप भी है। प्राचीन स्थल है। गढ़वाल विश्वविद्यालय ने यहां पर खनन कराया।