कोरोना नहीं, कभी बिजनौर में इन्फ्लूएंजा से आई थी कयामत, दुगुनी से ज्यादा हुई थीं मौत
कोरोना नहीं, कभी बिजनौर में इन्फ्लूएंजा से आई थी कयामत, दुगुनी से ज्यादा हुई थीं मौत अशोक मधुप फरवरी 18, 2022 11:32 जिला गजेटियर के 1924 के सप्लिमेंटरी नोट्स के अनुसार 1918 में इन्फ्लूएंजा महामारी के रूप में फैला। जनपद के इतिहास में सबसे ज्यादा मौत 1918 में हुईं। इस साल में 87 हजार 703 मौत रिकार्ड हुईं। इनमें अकेले बुखार से ही 80 हजार 839 व्यक्तियों ने जान दी। इस समय हम कोरोना के आंतक में जी रहे हैं। इससे पहले हमारे पूर्वजों ने प्लेग जैसी महामारी देखी। पर इनमें इतनी मौत नही हुईं जितनी कभी बुखार से होती थीं। अबसे लगभग सौ सवा सौ साल पहले उत्तर प्रदेश के जनपद बिजनौर में मरने वालों में 60−70 प्रतिशत व्यक्ति बुखार से मरते थे। जनपद के इतिहास में सबसे ज्यादा मौत 1918 में हुईं। इस साल में 87 हजार 703 मौत रिकार्ड हुईं। इनमें अकेले बुखार से ही 80 हजार 839 व्यक्तियों ने जान दी। पिछले लगभग दो साल से हम कोरोना के साए में जी रहे हैं। इसके तीन फेस बीत गए। आंकड़े कहते हैं कि बिजनौर जनपद में इस अवधि में कोरोना से मात्र 126 व्यक्तियों की मौत हुई। जिला गजेटियर के 1924 के सप्लिमेंटरी नोट्स के अनु