कुरतुल एन हैदर का नहटौर
जन्मदिन पर विशेष कुरतुल एन हैदर का नहटौर सूरदास का पद उधो मोही ब्रज बिसरे नाही ,उर्दू की प्रसिद्ध लेखिका कुर्तुलेन हैदर पर बिल्कुल सही बैठता है। ऐनी आपा के नाम से प्रसिद्ध कुर्तुल एन हैदर पूरी दुनिया घूमी। लंदन रहीं।देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान चली गईं।वहां भी रही पर उनका मन हिंदुस्तान और उसके बिजनौर जिले के कस्बे नहटौर में भटकता रहा। मुंबई रही या नोयड़ा उनके दिल से नहटौर एक पल के लिए भी नहीं गया।उन्होंने अपने नाविल कारे जहां दराज है ,में अपने परिवार का एक हजार साल का इतिहास संजोया है। तीन भाग में छपे इस विशाल उपन्यास में वह बताती हैं कि कैसे उनके पूर्वज एक हजार साल पहले नहटौर आकर बसे।वह इसमें अपने घर उसके आगे की झील, मुहल्ले का जिक्र करती है।नहटौर के बागात के किस्से कहतीं हैं। वह कहती हैं कि 1962 की बरसात में मुहल्ला सादात सैदरी नहटौर के वीरान खंडहर, पुश्तैनी मकान बारिश की झड़ी में धड़ाधड़ गिरते जा रहे थे। दो सौ बरस पुराने बड़े दरबार नहटौर का दूसरा फाटक गिरा और झील के किनारे खड़ी बूढ़ी पिलखन बारिश और हवाओं की भेंट चढ़ गई। कुरतुलेन कहती हैं कि नहटौर वाले नहटौर को छोटा द