बन रहे गांगन के पुल की ईंट चोरी हो गईं
बन रहे गांगन के पुल की ईंट चोरी हो गईं
1857 के गदर के समय नहटौर के पास गांगन नदी पर पुल बन रहा था। नहटौर की रहने वाली जानी मानी लेखिका कुर्तुल एन हैदर अपनी पुस्तक कारे जहां दराज है,में इस बारे में विस्तार से लिखती है। उन्होंने पुस्तक में मसनवे माडे नामा नामक चैप्टर में कहा है कि मुहल्ला सादात हैदरी नहटौर में दरबारे उज्जाम का एक महल खड़ा है।
1857 में इसमें 12 टोपी वालों ने आजाद सरकार कायम की थी। मीरा इमतयाज अली अध्यक्ष ,काजी शब्बू आर्थिक मामलों के मंत्री ( वजीरे मालिकात) चौधाी अनूप सिंह वजीरे खजाना, और इनायत हुसैन रक्षा मंत्री ( वजीरे फिदा) थे। इनायत हुसैन पेशावरी पठान थे। इनकी मूंछ डरावनी थीं।यह बारह टोपी 12 माह कार्यरत रहीं।इसने इस अवधि में गांव से मालगुजारी वसूली।
इस कोठी के मैदान में अदालत लगती। बाहर से केथ के पेड़ तक एक मोटा रस्सा लटका दिया था।बारह टोपी वाले जिसे चाहते उसे फिंरगी का जासूस बताकर फांसी दे देते।इस बारह टोपी सरकार का बड़ा आंतक था। उधर शोरकोट का माड़े खान आ गया।इससे यहां हिंदू मुस्लिम फसाद हुए।
22 अगस्त 1957 को मिस्टर जार्ज पांमर ज्वान्ट मजिस्ट्रेट बिजनौर ने मीर इंतयाज अली , दूसरे नहटौर और नगीने के रईसों को खत भेजा।खत में लिखा था कि शहर के हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगा होने का अंदेशां है। इसलिए जल्दी सरकारी फोज भेजी जा रही है।
अंग्रेजों ने अपने इलाकों में जगह− जगग डाक बंगले बनवाए थे।यहां डाक गाडियां ठहरकर आगे जाती थीं। गदर की वजह से खबर (डाक ) पहुंचने का सारा इंतजाम छिन्न− भिन्न हो गया था।
डाकिया पत्र लेकर नहटौर में दाखिल हुआ । मीर इम्तयाज अली 12 टोपी सरकार के सरगना बने अकड़ते घूमते− फिरते थे। उन्होंने डाकिए को पीटकर भगा दिया। नवाब महमूद खां के कमांडर माडे खान इस समय 12 टीेपी सरकार के मेहमान थे।पिलखनों के नीेच फोज के लिए खाना बनाने वाली देग खड़क रहीं थीं।
कुर्तुलेन हैदर कहती हैं कि इस समय आबपाशी के लिए नहर बनने का काम चल रहा था। नहटौर की भी गांगन नदी से नहर निकाली गई।नहटौर धामपुर मार्ग पर पुल बनाने के लिए उसका ढांचा बनाया गया था। ये काम अधूरा था कि गदर शुरू हो गया। गांगन किनारे पुल बनाने के लिए ईंट का बड़ा ढेर लगा था। माडे खान वह सारी ईंट मुहल्ला सादात उठवा लाया। उसने मुहल्ले के चारों और किलेबंदी की। एक अदद तोप दरवाजे उज्जाम पर तैनात कर दी।
कुर्तुलेन हैदर कहती हैं कि जंगे आजादी काजो हुआ सो हुआ किंतु बाकी ईंट कुछ आजादी क मतवालों ने उठा लीं ।इनसे एक दो के घर बन गए।
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