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Showing posts from June, 2022

बाबा रामदेव के गुरु स्वामी आनंद चैतन्य उर्फ बंगाली बाबा

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  बाबा रामदेव के गुरु स्वामी आनंद चैतन्य उर्फ बंगाली बाबा का 20 दिसंबर 2014 को देहावसान हो गया। शुक्रवार सुबह करीब चार बजे गंज स्थित अपने आश्रम पर उन्होंने 103 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। वह पिछले चार साल से लकवा से पीड़ित थे। गंज में गंगाघाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। शिष्य भोगराज ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस मौके पर बड़ी तादाद में बाबा के भक्त और संत मौजूद रहे। हेमराज कॉलोनी से आए बंगाली समुदाय के लोगों ने बंगाली बाबा की चिता जलने के दौरान ही गंगा तट पर भजन कीर्तन किया। स्वामी आनंद चैतन्य करीब 47 साल पहले महात्मा विदुर कुटी से कुछ ही दूरी पर गंज में आश्रम बनाकर आ बसे थे। बंगाली बाबा को योग के साथ आयुर्वेद की अच्छी जानकारी थी। दूरदराज से लाइलाज मरीज उनके पास उपचार कराने आते थे। प्रत्येक रविवार को आश्रम में मरीजों की भीड़ रहती थी। परिवार खत्म होने पर बंगाल से बचकर भागे थे बाबा स्वामी आनंद चैतन्य महाराज बंगाली बाबा का पूरा परिवार पूर्वी बंगाल वर्तमान में बांग्लादेश में हुए दंगों में नेस्तनाबूद कर दिया गया था। इस दंगे में अकेले चैतन्य महाराज ही बचे थे। नानी ने चावल के बुगों में छिपा

जारी है संस्कृत शिक्षा की अलख जगाने की कवायद

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जारी है संस्कृत शिक्षा की अलख जगाने की कवायद फोटो अशोक मधुप बिजनौर जनपद ऋषि −मुनियों  की भूमि  रहा है। कभी इसमें बड़े −बड़े  विद्या केंद्र होते थे। गुरूकुल थे।संस्कृत विद्यालय थे, किंतु आधुनिकता की दौड़ में यह सब सिमट गया। इसके बावजूद जनपद मे आज भी   दो बालिका गुरूकुल और दो संस्कृत विद्यालय  चल रहे हैं।  भारत का सबसे पुराना उच्च शिक्षा का केंद्र गुरूकुल (कण्व आश्रम) गंगा और मालन  के पट पर था। इस गुरूकुल का समय महाभारत काल से पहले का है। जिला गजेटियर के अनुसार कण्व ऋषि इस गुरूकुल के कुलपति थे। भारत वर्ष का नाम देने वाले पुत्र की जननी शकुंतला इसी कण्व ऋषि के आश्रम में रहकर पली बढीं।  यही हस्तिनापुर के महाराज दुष्यंत से उनका प्रेम परवान चढ़ा। दुष्यंत के न पहचानने पर वह मां के साथ ऋषि कश्यप के आश्रम में आ गईं। सुहाहेड़ी निवासी सेठ जय नारायण सिंह अन्य  ग्रामवासियों  के अनुसार  यह आश्रम सुहाहेड़ी के पास कहीं मालन के तट पर था ।यहीं देवलोक से लौटने महाराज दुष्यंत को शेर के दांत गिनते मिले किशोर की पहचान भरत के रूप में हुई। इसी भरत ने नाम पर देश का  नाम भारत वर्ष हुआ। महाभारत काल में सेंधवार मे

गोपाल देवी

  गोपाल देवी बिजनौर जनपद की पहली महिला पत्रकार हुईं।वे कवि भी थी।श्रीमती गोपाल देवी का जन्म सम्वत् 1940 सन 1883  में  बिजनौर में हुआ। आपके पिता का नाम पंडित शोभाराम  और माता का नाम सरस्वती देवी था। आपके एक भाई हैं उनका नाम श्रोत्रिय भगवान स्वरूप है। बाल्यकाल ही से गोपाल देवी जो बड़ी प्रतिभाशालिनी जान पड़ती थीं। कुछ ही दिनों में इन्होंने पढ़ने-लिखने , सिलाई आदि स्त्रियों के योग्य गुणों में योग्यता प्राप्त कर ली। सं. 1958 में आपका विवाह पंडित सुदर्शनाचार्य बी. ए. से हुआ। पंडित जी उस समय प्रयाग के कायस्थ पाठशाला में संस्कृत के प्रोफेसर के पद पर प्रतिष्ठित थे। विवाह हो जाने के कुछ दिनों के बाद पंडित जी स्वतन्त्र रूप से अपना कारोबार करने लगे। आपने ' सुदर्शन-प्रेस ' नामक प्रेस खोला और उसी की देख-भाल करने लगे। प्रेस का काम करने के कारण इन्हें प्रोफेसरी छोड़ देनी पड़ी। सरकार पंडित जी को इंग्लैंड भेज रही थी , लेकिन घर-गृहस्थी तथा कारोबार में फँस जाने के कारण नहीं जा सके।   गोपाल देवी पर रिसर्च करने वाले कपिल गोतम के अनुसार प्रेस खोलने पर श्रीमती गोपाल देवी जी की प्रेरणा से ' गृह

पांच पीढ़ी से संगीत की सेवा कर रहा है बिजनौर का घराना

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पांच पीढ़ी से  संगीत की सेवा कर रहा है  बिजनौर का घराना अशोक मधुप बिजनौर का एक  म्युजिक घराना  पांच पीढ़ी से संगीत गायन और वादन क्षेत्र में सेवा दे रहा है।  इस घराने के  अजय झिंगरन ने  फिल्मी दुनिया में  बिजनौर का नाम  रोशन  किया।  अजय झिंगरन फिल्मी दुनिया का  एक उभरता सितारा रहे। वह धूमकेतु की तरह आए।अपना वजूद दिखाया और इस दुनिया से मात्र 46 साल की आयु में ही विदा हो गए।कोई जानता भी नही कि ये बिजनौर के रहने वाले थे।इनके दादा रम्मो गुरू (रम्मो उस्ताद )संगीत गायन और कत्थक के विशेषज्ञ   थे । रम्मो गुरू से ही अजय झींगरन ने गायन वादन और संगीत सीखा।रम्मो गुरू को अपने  पिता से मिली इस विरास्त को पूरा  घराना संभालने और आगे बढ़ाने में लगा है।इस घराना  विज्ञान और कला का संगम हैं।  राम शरण  शर्मा (रम्मो गुरू) एमएससी केमिस्ट्री से करके शादी लाल ग्रुप की चीनी मिल में कैमिस्ट हुए । शादी लाल ग्रुप की विभिन्न मिल में काम किया और चीफ केमिस्ट  से सेवानिवृत हुए।वे रसायन विज्ञानी थे। इसके बावजूद संगीत उनकी रंग −रंग में भरा था। बिजनौर के खत्रियान के रहने वाले जगदीश शरन खन्ना बताते है कि रम्मो उर्फ रम्मो