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Showing posts from July, 2022

इजहार असर

 हजारो उपन्यास लिखने वाले लेखक शायर नाविल निगार इजहार असर बिजनौर के किरतपुर कस्बे में 15 जून 1928 को मुख्तार अहमद के घर पैदा हुए थे किरतपुर से शिक्षा पूरी कर उन्होंने सन 1941 में लाहौर पहुच कर एक कपड़े की         फैक्ट्री में खड्डी पर कपड़ा बुनाई के काम लग गये बाद मे जब सन 1947 में बंटवारे का फसाद शुरू हुआ तो वह लाहौर छोड़कर दिल्ली रणजीत नगर आ गये  यह वह समय था जब भारतीय मुसलमान पाकिस्तान जाकर मुहाजिर बनना पसंद कर रहे थे इजहार असर का लाहौर छोड़कर दिल्ली में बसना एक साहसिक कदम था उनका यह कदम निर्णायक साबित हुआ उन्होंने दिल्ली मे रह कर अपनी प्रतिभा को उभारा उनके उपन्यासों मे विषेश थे जुर्म साइंस फिक्शन एवं जासूसी 1949 में उनका नागिन उपन्यास बेस्ट साबित हुआ जासूसी नाॅवल लिखने में उनकी तुलना इब्ने सफी से की जाती थी जबकि साइंस के क्षेत्र में इजहार असर उर्दू साहित्य में सर्वश्रेष्ठ माने जाते थे बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि इजहार असर एक शायर भी थे प्रसिद्ध शायर ताजवर नजीबाबादी के शिष्य थे ताजवर नजीबाबादी अपने समय के सबसे बड़े विद्वान थे और लाहौर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर था इजहार असर दिल्ल

रेडियो की दुनिया के बादशाह गोपाल शर्मा

  रेडियो की दुनिया के बादशाह गोपाल शर्मा   ने श्रोताओं के लिए ठुकरा दिया था बीबीसी लंदन का निमंत्रण , आशा भोंसले से था खास रिश्ता o       दिसंबर सन् 1931 में बिजनौर जनपद के चांदपुर नगर में जन्मे गोपाल शर्मा ने आवाज की दुनिया में वो नाम रोशन किया कि उनके समय का हर गायक और फिल्मी कलाकर उनका दीवाना रहा। हर गायक और कलाकर की तमन्ना होती कि गोपाल शर्मा उन पर नजरें करम कर दें और उनकी गाड़ी चल निकले। जानी-मानी गायिका आशा भोंसले ने तो उन्हें भाई बनाया था। गोपाल शर्मा के बेटे के जन्म पर वह चांदपुर आईं भी थीं। टीवी से पहले रेडियो युग था। रेडियो कार्यक्रम सुनने के लिए उस समय लाइन लगती थी। आकाशवाणी दिल्ली से शाम को आने वाले किसान भाइयों के कार्यक्रम को सुनने के लिए चौपाल या रेडियो स्वामी के घर पर भीड़ एकत्र हो जाती थी। सन् 1960 के आसपास रेडियो सिलोन भारत ही नहीं पूरी एशिया में मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम प्रस्तुत करता था। विविध भारती शास्त्रीय संगीत पर आधारित कार्यक्रम पेश करता था। उस पर बजने वाले फिल्मी गाने भी प्राय: शास्त्रीय संगीत पर आधारित होते थे। जबकि रेडियो सि

बिजनौर में सावन की कांवड़ पर चिंगारी सांध्य में मेरा लेख-

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बिजनौर में नही रही सावन की कांवड़ लाने की परंपरा अशोक मधुप बिजनौर भारशिव की भूमि है फिर भी यहां सावन में कांवड़ आने की परम्परा नही रही। हरिद्वार से सटा होने पर भी यहां सावन में कांवड़ नही आतीं। यहां जाड़ों में शिवरात्रि पर कांवड़ आने की परंपरा रही है। बिजनौर हरिद्वार से सटा जिला है।इसके बावजूद भी बरसात में हरिद्वार जाना पहले सरल नही था। बरसात में गंगा पूरे उफान पर होती थी1 उसे पार कर हरिद्वार जाना पहले संभव नही था।जनपद का हरिद्वार से गहरा नाता रहा है। हरिद्वार में गुरूकुल कांगड़ी वि बिजनौर में सावन की कांवड़ पर चिंगारी सांध्य में मेरा लेख- श्वविद्यालय की स्थापना बिजनौर निवासी मुंशी अमन सिंह की भूमि पर हुई। ये विश्व विद्यालय बिजनौर के हरिद्वार से सटे पर गंगा के बिजनौर साइड के छोर पर गांव कांगड़ी में प्रारंभ हुआ। इसकी स्थापना के समय जनपद में स्नातक और उससे ऊपर की शिक्षा के लिए कोई महाविद्यालय नही था।इसलिए मेरे से पहली पीढ़ी प्रायः इसी शिक्षा के मंदिर में पढ़कर बड़ी हुई। वैसे भी उस समय उच्च शिक्षा कुछ ही ले पाते थे। वे भी प्रायः संपन्न परिवार से होते। इसलिए पास में यह शिक्षा का मंदिर उनके

नानौर के जंगल में है सीता मंदिर

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अशोक मधुप  बिजनौर जनपदवासियों को यह पता भी  नही कि चांदपुर  बाष्टा क्षेत्र के नानौर के जंगल में  सीता मंदिर भी है। पुराने लोग कहते हैं कि सीता यहीं धरती में समाई थी। इस मंदिर को , सीता मंदिर , सीता बनी और सीतामठ कई नाम से पुकारा जाता है।अब तो यह स्थान कुछ विकसित हो गया, किंतु अब से चालिस −पचास साल पहले यहां कुछ भी नही था। दिन में चरवाहे  पशु चराते और शाम को घार वापस हो जाते। −−−− बिजनौर जनपद के इतिहास पर आजतक कोई कार्य नहीं हुआ। जिला गजेटियर से अलग किसी ने कुछ नही किया। न कोई महत्वपूर्ण स्थल घूमा, नहीं कोई जानकारी करने की कोशिश की। इस बारे में कभी किसी जानकार से पूछा तो सबने कहा कि सर सैयद की किताब सरकशे  बिजनौर में जिले का इतिहास है। सच्चाई यह है कि सरकशे  बिजनौर सर सैयद की डायरी है। इसमें उन्होंने 1857 के विद्रोह के समय बिजनौर की तैनाती के दौरान की घटनांए  दर्ज की हैं। जनपद के इतिहास  और ऐतिहासिक स्थलों पर अभी  और खोज कार्य की जरूरत है −−−अशोक मधुप −−−−−   लेखक तीन −चार बार इस स्थान पर गया। अंतिम बार बिजनौर हलचल चैनल  चलाने के दौरान लेखक और उसके साथ आज के आज तक के जिला प्रभारी संजीव