इजहार असर
हजारो उपन्यास लिखने वाले लेखक शायर नाविल निगार इजहार असर बिजनौर के किरतपुर कस्बे में 15 जून 1928 को मुख्तार अहमद के घर पैदा हुए थे किरतपुर से शिक्षा पूरी कर उन्होंने सन 1941 में लाहौर पहुच कर एक कपड़े की फैक्ट्री में खड्डी पर कपड़ा बुनाई के काम लग गये बाद मे जब सन 1947 में बंटवारे का फसाद शुरू हुआ तो वह लाहौर छोड़कर दिल्ली रणजीत नगर आ गये यह वह समय था जब भारतीय मुसलमान पाकिस्तान जाकर मुहाजिर बनना पसंद कर रहे थे इजहार असर का लाहौर छोड़कर दिल्ली में बसना एक साहसिक कदम था उनका यह कदम निर्णायक साबित हुआ उन्होंने दिल्ली मे रह कर अपनी प्रतिभा को उभारा उनके उपन्यासों मे विषेश थे जुर्म साइंस फिक्शन एवं जासूसी 1949 में उनका नागिन उपन्यास बेस्ट साबित हुआ जासूसी नाॅवल लिखने में उनकी तुलना इब्ने सफी से की जाती थी जबकि साइंस के क्षेत्र में इजहार असर उर्दू साहित्य में सर्वश्रेष्ठ माने जाते थे बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि इजहार असर एक शायर भी थे प्रसिद्ध शायर ताजवर नजीबाबादी के शिष्य थे ताजवर नजीबाबादी अपने समय के सबसे बड़े विद्वान थे और लाहौर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर था इजहार असर दिल्ल