रेडियो की दुनिया के बादशाह गोपाल शर्मा
रेडियो की दुनिया के बादशाह गोपाल शर्मा
ने
श्रोताओं के लिए ठुकरा दिया था बीबीसी लंदन का निमंत्रण, आशा भोंसले से था खास रिश्ता
o
दिसंबर सन् 1931 में
बिजनौर जनपद के चांदपुर नगर में जन्मे गोपाल शर्मा ने आवाज की दुनिया में वो नाम
रोशन किया कि उनके समय का हर गायक और फिल्मी कलाकर उनका दीवाना रहा। हर गायक और
कलाकर की तमन्ना होती कि गोपाल शर्मा उन पर नजरें करम कर दें और उनकी गाड़ी चल
निकले। जानी-मानी गायिका आशा भोंसले ने तो उन्हें भाई बनाया था। गोपाल शर्मा के
बेटे के जन्म पर वह चांदपुर आईं भी थीं।
टीवी से पहले रेडियो युग था। रेडियो
कार्यक्रम सुनने के लिए उस समय लाइन लगती थी। आकाशवाणी दिल्ली से शाम को आने वाले
किसान भाइयों के कार्यक्रम को सुनने के लिए चौपाल या रेडियो स्वामी के घर पर भीड़
एकत्र हो जाती थी।
सन् 1960
के आसपास रेडियो सिलोन भारत ही नहीं
पूरी एशिया में मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम प्रस्तुत करता था। विविध भारती
शास्त्रीय संगीत पर आधारित कार्यक्रम पेश करता था।
उस पर बजने वाले फिल्मी गाने भी प्राय:
शास्त्रीय संगीत पर आधारित होते थे। जबकि रेडियो सिलोन शुद्ध मनोरंजन के लिए
कार्यक्रम प्रस्तुत करता था और उस पर भारतीय फिल्मों के सभी गाने बजते थे।
मनोरंजन के लिए फिल्मों के गाने बजने के
कारण रेडियो सिलोन पूरे एशिया में भारतीयों का सबसे पंसदीदा था। गोपाल शर्मा 1956 से
24 अप्रैल 67 तक 11 साल लगातार इस स्टेशन के हिंदी कार्यक्रमों के अनाउंसर रहे।
एक साल की उम्र में गोपाल शर्मा की माता
का निधन हो गया। बिना माता की छत्र छाया में पले बढ़े गोपाल शर्मा ने आर्थिक
समस्याओं से जूझते हुए मेरठ कॉलेज मेरठ से बीए की परीक्षा उतीर्ण की। बीए करने के
बाद फिल्म इंडस्ट्री में भाग्य आजमाने मुंबई पहुंच गए। यहां कुछ बनने के लंबे और
अथक संघर्ष में उनकी उस समय के प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता बलराज साहनी से मुलाकात हो
गई।
कुछ समय उनके ग्रुप में काम किया और
बलराज साहनी की सलाह पर रेडियो की दुनिया में प्रवेश कर गए। रेडियो के कैजुअल
आर्टिस्ट के रूप में काम करते समय रेडियो सिलौन के लिए चयन हो गया। रेडियो सिलोन
में काम करने के दौरान मेरठ में उनका विवाह हुआ।
रेडियो सिलोन के लिए 11 साल लगातार काम कर
गोपाल शर्मा ने एक रिकार्ड बनाया। भारत लौटकर गोपाल शर्मा ने आकाशवाणी के कैजुअल
आर्टिस्ट के रूप में काम करने के साथ ही विभिन्न कंपनियों के लिए विज्ञापन बनाने
और बड़े कार्यक्रम के संचालन का लंबे समय तक कार्य किया। रेडियो सिलोन से लौटकर
गोपाल शर्मा मुंबई में बस गए थे
एक भेंट में अपनी कामयाबी का राज समय का
पालन करना बताया था। वह कहते थे कि मैं प्रत्येक कार्यक्रम में निर्धारित समय से
पहले पहुंचता रहा हूं। रेडियो सिलोन के 11
साल के कार्यकाल में एक दिन भी देर से
नहीं पहुंचा।
बीबीसी लंदन का निमंत्रण नहीं किया
स्वीकार
अपनी आत्मकथा आवाज की दुनिया के दोस्तों
में वह कहते हैं कि विविध भारती में चयन के लिए बुलाए जाने पर उन्होंने कार्य करने
से इसलिए इंकार कर दिया कि उस पर सरकारी तंत्र हावी है। कुछ नया करने वालों की कोई
कदर नहीं है। अपनी आत्मकथा में गोपाल शर्मा लिखा है कि रेडियो सिलोन पर कार्य करने
के दौरान मैं भारत आया था।
एक कार्यक्रम में बीबीसी लंदन के
रत्नाकर भारतीय जी से मुलाकात हो गई। उन्होंने तुरंत कहा, शर्मा जी आप कहां
रेडियो सिलोन में पड़े हैं। आपका स्थान बीबीसी लंदन है। आप जब चाहें तब आपको बुलवा
सकता हूं। मैंने कहा, भारतीय जी बीबीसी लंदन नंबर एक है। लेकिन मेरा मानना यह है कि
आपके प्रोग्राम सुनने वाले भारत में गिने चुने हैं। जबकि मेरा प्रोग्राम सुनने
वाले एशिया भर में करोड़ों हैं। मैं करोड़ों श्रोताओं का दिल नहीं दुखा सकता।
रुपया कमाना मेरा लक्ष्य नहीं है।
फिल्म में भी किया काम
गोपाल शर्मा अपनी आत्मकथा में लिखते हैं
कि उन्होंने तीन अन्य साथियों के साथ फिल्म अधिकार के भजन माटी कहे कुम्हार में
बाल साधु की भूमिका की। मैं सोचता था कि गाने के दो तीन मिनट में स्क्रीन पर मेरा
चेहरा एक दो बार दिखाया गया होगा। फिल्म रिलीज हो गई किंतु जेब में इतने पैसे नहीं
थे कि फिल्म देख पाते। रेडियो सिलोन पर जाने से पूर्व चांदपुर गया तो हमारे बहुत
सीनियर और हाकी के बड़े खिलाड़ी कैलाश मित्तल मेरे से विशेष रूप से मिलने आए। उनका
चांदपुर में सिनेमा हाल है। कहने लगे शर्मा जी आपकी फिल्म अधिकार की एंक्टिग से
मुझे बहुत आमदनी हुई।
मैंने जगह - जगह आपके नाम का प्रचार
कराया कि चांदपुर का तरुण कलाकार गुरू रघुनाथ प्रसाद का लड़का गोपाल शर्मा फिल्म
में काम कर रहा है। इसका इतना असर हुआ कि अकेले चांदपुर में फिल्म अधिकार एक साल
तक चली। बिजनौर जनपद में कई साल तक यह फिल्म चलाई और इतनी आमदनी हुई कि हमारा एक
और सिनेमा हाल बन गया।
मोहम्मद रफी से मुलाकात गोपाल शर्मा
लिखते हैं कि मै एक बार भारत आने पर ओपी नैय्यर साहब से मिलने गया। मुझे देखते ही
नैय्यर साहब ने कहा कि विदेश जाने की सूचना तो रेडियो से दो ही व्यक्तियों के बारे
में दी जाती है, एक तो भारत के प्रधानमंत्री और दूसरे रेडियो सिलोन के गोपाल
शर्मा की।
बाते शुरू ही की थीं कि कुछ ही देर में
फोन आ गया। नैय्यर साहब ने कहा आप जिनके बारे में पूछ रहें हैं, वे मेरे पास बैठे
हैं। उन्होंने मुझे फोन दे दिया। फोन करने वाले मो. रफी थे। वे मुझसे मिलना चाहते
थे।
मैंने नैय्यर साहब से आज्ञा ली और रफी
साहब से मिलने चला गया।मिलते ही उन्होंने तुरंत मुझे सीने से लगा लिया। बोले जब मैं
नया नया मुंबई आया था तो मेरे भाई हमीद साहब ने मेरे लिए खूब भागदौड़ की। मेरा
अरमान था कि मुझे जनाब कुंदन लाल सहगल साहब केसाथ गाने का मौका मिले।
मौका मिला भी जूही, जूही, जूही..., मेरे सपनों की
रानी..., वाले गीत में। इस गीत के अंत में सोलो लाइन दो बार मैने गाई।
संगीत प्रेमियों को यह बात रेडियो सिलोन पर सबसे पहले गोपाल शर्मा जी आप ने ही
बताई। महान गायक रफी साहब ही नहीं बल्कि उस समय का हर गायक गोपाल शर्मा से मिलने
केलिए उत्सुक रहता था।
मेेरठ हुई थी गोपाल शर्मा की शादी
रेडियो सिलोन के लगातार 11 साल तक अनांउसर रहे
गोपाल शर्मा की शादी मेरठ के पंडित शिव शंकर शर्मा की पुत्री शशि शर्मा से 13 अप्रैल 1964 को
हुई। मेरठ का यह परिवार आर्य समाजी था। शशि शर्मा के दादा पंडित तुलसीराम वेदों के
बड़े विद्वान थे। इन्होंने संस्कृत से वेदों का हिंदी में अनुवाद किया था। इस शादी
की विशेषता यह थी कि इसमें मुंबई से गायक महेंद्र कपूर आए थे।
गोपाल शर्मा ने अपनी पुस्तक आवाज की
दुनिया के दोस्तों में इस शादी के बारे में भी विस्तार से बताया है। वह कहते हैं
कि शशि के दादाजी की तुलसी प्रेस थी। उस समय उनकी शादी का सब और चर्चा था। अखबारों
में खबर छप रही थी। 13 अप्रैल को दो बसों से मेरठ बरात गई थी। इस शादी में गायक
महेंद्र कपूर, एक करोड़पति श्रोता सुरेश चंद्र अग्रवाल, आशा भोंसले के
सेकेटरी प्राण ऐरी, गुजराती अनाउंसर सहाग दीवान और हिंदी विभाग के वरिष्ठ उद्घोषक शील
वर्मा समेत पांच व्यक्ति मुंबई से आए थे।
वे कहते है कि उनके ससुरालवालों को ये
पता नहीं था कि उनका दामाद रेडियो सिलोन का प्रसिद्ध उद्घोषक गोपाल शर्मा हैं।
महेंद्र कपूर ने14 अप्रैल को सुबह दो बजे से सवेरे छह बजे चार घंटे लगातार
बरातियों और घरातियों का मनोरजन किया। महेंद्र कपूर के कार्यक्रम की मेरठ में खूब
धूम रही।
14 की शाम को बरात विदा होकर चांदपुर आ गई।
रेडियो सिलोन ने उनकी शादी की खुशी में सभी भाषाओं के प्रोग्राम में विशेष
कार्यक्रम प्रस्तुत किए। वे कहते हैं कि उनकी शादी की दावत मुंबई के होटल नटराज में
हुई थी। व्यवस्था गायक महेंद्र कपूर ने की थी। प्रसिद्ध पार्श्व गायिका आशा भोंसले
ने उन्हें अपना भाई बनाया था। उनके बेटी के जन्म पर वे चांदपुर आई थीं और बेटी का
नामकरण किया था। बेटी को नाम दिया था चेतना। बाद में परिवार वालों की सलाह के बाद
उसका नाम महिमा कर दिया था।
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रेडियो सिलोन के पूर्व अनांउसर गोपाल शर्मा नहीं रहे
रेडियो सिलोन के पूर्व अनांउसर गोपाल
शर्मा नहीं रहे
रेडियो सीलोन के दिग्गज कमेंटेटर और
होस्ट गोपाल शर्मा का 23 मई 2021 को 88 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्हें भारत का पहला रेडियो जॉकी कहा
जाता है। मुंबई के बोरीवली स्थित अपने निवास स्थान पर गोपाल शर्मा ने
शुक्रवार को अंतिम सांस ली।
गोपाल शर्मा
गोपाल शर्मा का जन्म उत्तर
प्रदेश में बिजनौर के चांदपुर में हुआ था। साल 1956 में वो रेडियो सीलोन से जुड़े जो कि
एशिया का सबसे पुराना रेडियो स्टेशन है। 1950-60 के दशक में रेडियो सीलोन बहुत मशहूर
हुआ करता था। गोपाल शर्मा ने रेडियो सीलोन में 11 साल से ज्यादा समय तक काम किया। इसके
बाद वो फिल्म संगीत से जुड़े दूसरे कार्यक्रम और शोज करते रहे। साल 1958-59 में उन्होंने एक शो
‘कल और आज’ होस्ट किया।
साल 1967 में गोपाल शर्मा मुंबई पहुंचे। बाद
में विविध भारती से जुड़कर उन्होंने रेडियो पर कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए। रेडियो
के अलावा वो स्टेज शोज करते थे। साथ ही कई डॉक्यूमेंट्रीज में भी उन्होंने अपनी
आवाज दी।
गोपाल शर्मा अपने कार्यक्रम की शुरुआत
‘आवाज की दुनिया के दोस्तों…’ बोलकर करते थे। ये लाइन एक तरह से उनकी
पहचान बन गई थी। साल 2007 में उनकी ऑटोबायोग्राफी भी इसी नाम से प्रकाशित हुई थी।
मेेरठ हुईथी गोपाल शर्मा की शादी
अशोक मधुप
बिजनौर,रेडियो सिलोन के लगातार 11 साल तक अनांउसर
रहे गोपाल शर्मा की शादी मेरठ के पंडित शिव शंकर शर्मा की पुत्री शशि शर्मा से 13 अप्रेल 1964 को हुई।मेरठ का यह
परिवार आर्य समाजी था। शशि शर्मा के दादा पंडित तुलसी राम वेदों के बड़े विद्यान
थे।इन्होंने संस्कृत से वेदों का हिंदी में अनुवाद किया था। इस शादी की विशेषता यह
थी कि इसमें मुंबई से गायक महेंद्र कपूर आए थे। उन्होंने कई घंटे बारातियों और
घरातियों का मनोरंजन किया था।
गोपाल शर्मा ने अपनी पुस्तक आवाज की
दुनिया के दोस्तों में इस शादी के बारे में भी विस्तार से बताया है। वह कहतें हैं
कि शशि के दादाजी की तुलसी प्रेस थी। उस समय उनकी शादी का सब और चर्चा था।
अखबारों में खबर छप रही थी। 13 को दो बसों से मेरठ बारात गई थी। इस शादी में गायक महेंद्र कपूर,एक करोड़पति श्रोता
सुरेश चंद्र अग्रवाल, आशा भौंसले के सेकेट्री प्राण ऐरी, गुजराती अनाउंसर सहाग दीवान हिंदी
विभाग के वरिष्ठ उदघोषक शील वर्मा पांच व्यक्ति मुंबई से आए थे।
वे कहते है कि उनके ससुराल वालों को
ये पता नहीं था कि उनका दामाद रेडियों सिलोन का प्रसिद्ध उदघोषक गोपाल शर्मा है।14 अप्रेल को सुबह दो
बजे से सवेरे छह बजे चार घंटे लगातार बरातियों और घरातियों का मनोरजन किया।
महेंद्र कपूर के कार्यक्रम की मेरठ में खूब धूम रही। 14 की शाम को बारात
विदा होकर चांदपुर आ गई।रेडियों सिलोन ने उनकी शादी की खुशी में सभी भांषाओं के
प्रोग्राम में विशेष कार्यक्रम प्रसतुत किए।
वे कहते हैं कि उनकी शादी की दावत
मुंबई के होटल नटराज में हुई थी। व्यवस्था गायक महेंद्र कपूर ने की थी।।
प्रसिद्ध गायिका आशा भोंसले ने उन्हें
अपना भाई बनाया था। उनके बेटी के जन्म पर वे चांदपुर आई थीं। और बेटी को नामकरण
कियाथा। बेटी को नाम दिया था चेतना।बाद में परिवार वालों की सलाह पर नाम बदल कर
हुआ महिमा।
अशोक मधुप
गोपाल शर्मा ने अपनी आवाज से दुनिया
में बनाई पहचान
अशोक मधुप
बिजनौर,दिसबर सन १९३१ में बिजनौर जनपद के
चांदपुर नगर में जन्में गोपाल शर्मा ने आवाज की दुनिया में वो नाम रोशन किया कि
उनके समय का हर गायक और फिल्मी कलाकार उनका दीवाना रहा। हर गायक और कलाकार की
तमन्ना होती कि गोपाल शर्मा उनपर नजरे करम कर दें और उनकी गाड़ी चल निकले। जानी
मानी गायिका आशा भोंसले ने तो उन्हें भाई बनाया था। गोपाल शर्मा के बेटी के जन्म
पर वह चांदपुर आईं भी थीं।
टीवी से पहले रेडियो युग था। रेडियो
के कार्यक्रम सुनने के लिए उस समय लाइन लगती थी। आकाशवाणी दिल्ली से शाम के समय
आने वाले किसान भाइयों के कार्यक्रम को सुनने के लिए चौपाल या रेडियो स्वामी के घर
पर भीड़ एकत्र हो जाती थी। सन १९६० के आसपास रेडियो सिलोन भारत ही नहीं पूरी एशिया
में मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम प्रस्तुत करता था। विविध भारती शास्त्रीय
संगीत पर आधारित कार्यक्रम पेश करता था। उस पर बजने वाले फिल्मी गाने भी प्राय:
शास़त्रीय संगीत पर आधारित होते थे। जबकि रेडियो सिलोन शुद्ध मनोरंजन के लिए
कार्यक्रम प्रस्तुत करता था और उस पर भारतीय फिल्मों के सभी गाने बजते थे। मनोरंजन
के लिए फिल्मों के गाने बजने के कारण रेडियो सिलोन पूरे एशिया में भारतीयों का
सबसे पंसदीदा था। गोपाल शर्मा सन १९५६ से २४ अप्रैल ६७ तक ११ साल लगातार इस स्टेशन
के हिंदी कार्यकर्मो के अनाउंसर रहे।
एक साल की उम्र में गोपाल शर्मा की
माता का निधन हो गया। बिना माता की छत्र छाया में पले बढ़े गोपाल शर्मा ने आर्थिक
समस्याओं से जूझते हुए मेरठ कॉलेज मेरठ से बीए की परीक्षा उतीर्ण की । बीए करने के
बाद फिल्म इंडस्ट्री में भाग्य आजमाने मुंबई पंहुच गए। यहां कुछ बनने के लंबे और
अथक संघर्ष में उनकी उस समय के प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता बलराज साहनी से मुलाकात हो
गई। कुछ समय उनके ग्रुप में काम किया और बलराज साहनी की सलाह पर रेडियों की दुनिया
मेंं प्रवेश कर गए। रेडियो के कैजुअल आट्रिस्ट के रूप में काम करते समय रेडियों
सिलौन के लिए चयन हो गया। रेडियो सिलोन में काम करने के दौरान मेरठ में उनका विवाह
हुआ। रेडियो सिलोन के लिए ११ साल लगातार काम कर गोपाल शर्मा ने एक रिकार्ड बनाया।
भारत लौटकर गोपाल शर्मा ने आकाशवाणी के केजुअल आर्टिस्ट के रूप में काम करने के
साथ ही विभिन्न कंपनियों के लिए विज्ञापन बनाने और बड़े कार्यक्रम के संचालन का
लंबे समय तक कार्य किया।
रेडियो सिलोन से लोटकर गोपाल शर्मा
मुंबई में बस गए थे।
एक भेंट में अपनी कामयाबी का राज समय
का पालन करता बताया था। वे कहते हैं कि मैं प्रत्येक कार्यक्रम में निर्धारित समय
से पहले पंहुचता रहा हॅूं। रेडियो सिलोन के ११ साल के कार्यकाल में एक दिन भी देर
से नहीं पहुंचा।
बीबीसी लंदन का निमंत्रण नहीं किया
स्वीकार
अपनी आत्म कथा आवाज की दुनिया के
दोस्तों में वह कहतें हैं कि विविध भारती में चयन के लिए बुलाए जाने पर उन्होंने
कार्य करने से इसलिए इंकार कर दिया कि उस पर सरकारी तंत्र हावी है। कुछ नया करने
वालों की कोई कदर नहीं है। अपनी आत्मकथा में गोपाल शर्मा लिखतें हैं कि रेडियो
सिलोन पर कार्य करने के दौरान मैं भारत आया था। एक कार्यक्रम में बीबीसी लंदन के
रत्नाकर भारतीय जी से मुलाकात हो गई। उन्होंने तुरंत कहा – शर्मा जी आप कहां
रेडियो सिलोन में पड़े हैं। आपका स्थान बीबीसी लंदन है। आप जब चाहें तब आपको बुलवा
सकता हूं। मैने कहा -भारतीय जी बीबीसी लंदन नंबर एक है। लेकिन मेरा मानना यह है कि
आपके प्रोग्राम सुनने वाले भारत में गिने चुने हैं। जबकि मेरा प्रोग्राम सुनने
वाले एशिया भर में करोड़ों हैं। मै करोड़ो श्रोताओं का दिल नहीं दुखा सकता। रूपया
कमाना मेरा लक्ष्य नहींं है।्र
फिल्म में भी किया काम
गोपाल शर्मा अपनी आत्म कथा में लिखतें
हैं कि उन्होंने तीन अन्य साथियों के साथ फिल्म अधिकार के भजन माटी कहे कुम्हार
में बाल साधु की भूमिका की। मैं सोचता था कि गाने के दो तीन मिनट में स्क्रीन पर
मेरा चेहरा एक दो बार दिखाया गया होगा। फिल्म रिलीज हो गई किंतु जेब में इतने पैसे
नहीं थे कि फिल्म देख पाते। रेडियो सिलोन पर जाने से पूर्व चांदपुर गया तो हमारे
बहुत सीनियर और हाकी के बड़े खिलाड़ी कैलाश मित्तल मेरे से विशेष रूप से मिलने आए।
उनका चांदपुर में सिनेमा हाल है। कहने लगे शर्मा जी आपकी फिल्म अधिकार की एंक्टिग
से मुझे बहुत आमदनी हुई। मैंने जगह – जगह आपके नाम का प्रचार कराया कि
चांदपुर का तरूण कलाकार गुरू रघुनाथ प्रसाद का लड़का गोपाल शर्मा फिल्म में काम कर
रहा है। इसका इतना असर हुआ कि अकेले चांदपुर में फिल्म अधिकार एक साल तक चली।
बिजनौर जनपद में कई साल तक यह फिल्म चलाई और इतनी आमदनी हुई कि हमारा एक और सिनेमा
हाल बन गया। मुहम्मद रफी से मुलाकात गोपाल शर्मा लिखतें हैं कि मै एक बार भारत आने
पर ओपी नैय्यर साहब से मिलने गया। मुझे देखते ही नैय्यर साहब ने कहा कि विदेश जाने
की सूचना तो रेडियो से दो ही व्यक्तियों के बारे में दी जाती है, एक तो भारत के
प्रधानमंत्री और दूसरे रेडियों सिलोन के गोपाल शर्मा की। बाते शुरू ही की थीं कि
कुछ ही देर में फोन आ गया। नैय्यर साहब ने कहा आप जिनके बारे में पूछ रहें हैं, वे मेरे पास बैठे
हैं। उन्होंने मुझे फोन दे दिया। फोन करने वाले मुहम्मद रफी थे। वे मुझसे मिलना
चाहते थे। मैनेंं नैय्यर साहब से आज्ञा ली और रफी साहब से मिलने चला गया।मिलते ही
उन्होंने तुरंत मुझे सीने से लगा लिया। बोले जब मैं नया नया मुंबई आया था तो मेरे
भाई हमीद साहब ने मेरे लिए खूब भागदौड़ की। मेरा अरमान था कि मुझे जनाब कुंदन लाल
सहगल साहब केसाथ गाने का मौका मिले। मौका मिला भी जूही जूही जूही, मेरे सपनों की रानी
वाले गीत में। इस गीत के अंत में सोलो लाइन दो बार मैने गाई। संगीत प्रेमियों को
यह बात रेडियो सिलोन पर सबसे पहले गोपाल शर्मा जी आप ने ही बताई। महान गायक रफी
साहब ही नहीं बल्कि उस समय का हर गायक गोपाल शर्मा से मिलने केलिए उत्सुक रहता था।
अशोक मधुप
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