गोपाल देवी

 गोपाल देवी बिजनौर जनपद की पहली महिला पत्रकार हुईं।वे कवि भी थी।श्रीमती गोपाल देवी का जन्म सम्वत् 1940 सन 1883  में  बिजनौर में हुआ। आपके पिता का नाम पंडित शोभाराम  और माता का नाम सरस्वती देवी था। आपके एक भाई हैं उनका नाम श्रोत्रिय भगवान स्वरूप है। बाल्यकाल ही से गोपाल देवी जो बड़ी प्रतिभाशालिनी जान पड़ती थीं। कुछ ही दिनों में इन्होंने पढ़ने-लिखने, सिलाई आदि स्त्रियों के योग्य गुणों में योग्यता प्राप्त कर ली। सं. 1958 में आपका विवाह पंडित सुदर्शनाचार्य बी. ए. से हुआ। पंडित जी उस समय प्रयाग के कायस्थ पाठशाला में संस्कृत के प्रोफेसर के पद पर प्रतिष्ठित थे। विवाह हो जाने के कुछ दिनों के बाद पंडित जी स्वतन्त्र रूप से अपना कारोबार करने लगे। आपने 'सुदर्शन-प्रेस' नामक प्रेस खोला और उसी की देख-भाल करने लगे। प्रेस का काम करने के कारण इन्हें प्रोफेसरी छोड़ देनी पड़ी। सरकार पंडित जी को इंग्लैंड भेज रही थी, लेकिन घर-गृहस्थी तथा कारोबार में फँस जाने के कारण नहीं जा सके।

 

गोपाल देवी पर रिसर्च करने वाले कपिल गोतम के अनुसार प्रेस खोलने पर श्रीमती गोपाल देवी जी की प्रेरणा से 'गृहलक्ष्मी' नामक स्त्रियों के लाभ के लिए एक मासिक पत्रिका निकाली गयी। देवी जी स्वयं पत्रिका का सम्पादन करने लगीं। 19-20 वर्ष तक इस पत्रिका ने बड़े सुचारु रूप से हिन्दी की सेवा की है। यह पत्रिका हिन्दी की प्रतिष्ठित तथा पुरानी पत्रिकाओं में से थी। स्त्री-समाज में इस पत्रिका का बड़ा आदर था।

 गोपाल देवी जी के मामा श्रोत्रिय कृष्णस्वरूप बी.ए., एल.एल.बी. बड़े अच्छे और प्रतिष्ठित वैद्य हैं। गोपाल देवी जी बचपन में अक्सर अपने मामा के यहाँ रहा करती थीं। अनेक रोगियों की चिकित्सा इनके मामा के यहाँ हुआ करती थी। इससे इनकी भी चिकित्सा की ओर अभिरुचि हुई। इन्हें चिकित्सा-सम्बन्धी विषय से बड़ा-प्रेम था, इससे बड़ी जल्दी इन्होंने अनेक वैद्यक सम्बन्धी पुस्तकों का अध्ययन कर डाला। यद्यपि उस समय इन्हें स्वप्न में भी इस बात का विश्वास नहीं हुआ कि किसी समय इन्हें भी चिकित्सा द्वारा अपनी बहनों की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। ये पहले प्रायः अपने पास-पड़ोस के रहने वाले बच्चों की दवा करती थीं। यह अभ्यास विद्या-व्यसन के रूप में ही होता रहा। अन्त में जब ये वैद्यक में खूब निपुण हो गयीं तब इन्होंने प्रयाग में 'नवजीवन औषधालय' नामकएक औषधालय की स्थापना की। इसमें दवा कराने के लिए कितने ही रोगी-रोगिणी आती हैंवैद्यक में इनकी पटुता का समाचार सुनकर श्रीमती महारानी साहिबा बूँदी ने भी इन्हें अपने राज्य में चिकित्सा के लिए बुलाया। उन्होंने आपको सं. 1983 में 'राजवैद्या' की उपाधि से विभूषित किया।

श्रीमती गोपाल देवी जी हिन्दी की बड़ी पुरानी लेखिका हैं। आप बड़ी योग्य और नम्र हैं। आपने हिन्दी में कई पुस्तकें लिखी हैं। उनमें से 'परियों का देश', 'महिला-स्वास्थ्य-संजीवनी', 'दिव्य-देवियाँ' आदि मुख्य हैं। आपने 'राजवैद्या' नामक मासिक पत्र भी स्त्रियों के स्वास्थ्य के लिए तथा चिकित्सा सम्बन्धी निकालना शुरू किया था। आप बड़ी स्पष्टवादिनी और योग्य हैं। आपके दो पुत्र और तीन कन्याएँ हैं। आप कविता भी सुन्दर करती हैं। यद्यपि आपने कविता का कोई ग्रन्थ नहीं लिखा है तो भी हिन्दी की पुरानी स्त्री-सेविकाओं में आपका ऊँचा स्थान है। आशा है आपके द्वारा हिन्दी का भंडार दिन-प्रतिदिन भरता जायेगा। 
श्री  कपिल कुमार गौतम के शाेध प्रबंध से

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