कुंवर सत्यवीर

 

जीवन भर शिक्षा की अलख जगाने में लगे रहे कुंवर सत्यवीर


 जीवन भर शिक्षा की अलख जगाने में लगे रहे कुंवर सत्यवीर

जन्म दिन पर विशेष

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अशोक मधुप

बिजनौर, पूरी उम्र शिक्षा की अलख जगाने वाले कुंवर सत्यवीर का आज जन्म दिन है। राजा ज्वाला प्रसाद के परिवार में 12 दिसबंर 1911 को इनका जन्म हुआ। इन्हें पिता ब्रिटीश काल के पहले

भारतीय चीफ इंजीनियर बने।

मूल रूप से मंडावर में कानूनगो परिवार से पहचाने जाने वाले राजा ज्वाला प्रसाद ने धर्म नगरी में अपना फार्म बनाया। उनके बेटे और छह भाई बहनों में पांचवे नंबर के सत्यवीर की शिक्षा इलाहाबाद में हुई। 1931 में कक्षा 11 उतीर्ण कर पिता के साथ इंग्लैंड गए । व‌हां लंदन विश्वविद्यालय से बीएससी आनर्स करने के बाद इंडियन नेशनल इतिहास और पोलिटिक्ल सांइस में डिप्लोम कर भारत आ गए। 1944 में पिता के निधन के बाद इन्होंने धर्मनगरी फार्म का कार्य संभाला। कर्ज में डूबे फार्म को उभारने में जी -जान से जुट गए। इस फार्म को जनपद के अग्रणी फार्म की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। 1943 में मुजफ्फरनगर के प्रतिष्ठित परिवार में विवाह हुआ। राजनीति उनके जीवन में शिक्षा के समय से ही शामिल हो गई थी।1946 में वे पहली बार जिला पंचायत बोर्ड के सदस्य बने। 23 साल तक निरंतर इस पद पर बने रहे। तीन बार विधायक रहने वाले कुवंर सत्यवीर 1977 में जनता पार्टी की प्रदेश सरकार में तकनीकि मंत्री बने। इनके मंत्री काल में कई जनपदों में तकनीकि संस्थान बने। बिजनौर का राजकीय पोलिटैक्निक इनकी ही देन है। दो नवंबर 2003 को 92 वर्ष की आयु में कुंवर सत्यवीर का ‌निधन हो गया।

आजीवन ‌शिक्षा के प्रसार की सोचते रहे

कुंवर सत्यवीर आजीवन ‌शिक्षा के प्रचार -प्रसार के लिए लगे रहे।सदा उनका यही सोच रहता कि किस तरह की शिक्षण संस्था खोली जाए कि बिजनौर की नई पीढ़ी को घर के पास शिक्षा मिल रहे। दस प्रसिद्ध शिक्षण संस्था चलाने वाली वीरा चैरि‌टेबिल सोसायटी के ये संस्थापक सचिव थे। संस्था की बिजनौर मुख्यालय पर राजा ज्वाला प्रसाद आर्य इंटर कॉलेज,रानी भाग्यवती महिला महाविद्यालय , दयावती धर्मवीरा पब्लि‌क स्कूल, कुंवरानी प्रेमा सत्यवीरा कन्या इंटर कॉलेज , कुंवर सत्यवीरा कॉलेज ऑफ टेक्नालाजी एंव मैनेजमेंट एवं कुंवर सत्यवीरा डिगरी कॉलेज नामक छ‌ह शिक्षण संस्थाएं हैं।

तेज थी याददाश्त

कुंवर सत्यवीर की अन्त तक याददास्त बहुत अच्छी थी। जो उन्हें एक बार मिल गया, उसे कभी भूले। सदा उसका नाम लेकर पुकारा। हर तबके में उनकी जान पहचान थी। उनका सपना बिजनौर को मेडिकल कॉलेज देने का था। देश का प्रसिद्ध अस्पताल सर गंगाराम इनके परिवार का है। उसकी ब्रांच भी बिजनौर में खोलना चाहते थे। वे चाहते थे कि उनके जीते जी बिजनौर में मेडिकल कॉलेज बने। पर वे शरीर के आगे बेबस थे। सोचते थे कि शरीर आगे साथ देगा या नहीं।



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