बिजनौर पर सिखों के हमले
बिजनौर पर सिखों के
हमले
महाराजा रणजीत सिंह के समय में 1756 में पंजाब के गुलाब सिंह ने सरदार करोड़ा सिंह चक्के से गहरी दोस्ती कर अपनी ताकत बढ़ा ली। दोनों में पूरा एक्का था।दोनों ने अपनी पूरी फौज के साथ हरिद्वार की ओर कूंच किया। हरिद्वार के बाद नजीबाबाद पर चढ़ाई की। नजीबाबाद का नजीब खां( नजीबुद्दौला) पर हमला किया।नवाब डोडा खान ने शुरुआत में कड़ा प्रतिरोध किया लेकिन कुछ ही समय बाद वह युद्ध के मैदान से भाग गए।
हिम्मत से लड़ा
पर हार गया। वह मैदान छोड़कर भाग गया।इसके बाद इन्होंने नजीबाबाद और बिजनौर जनपद को
जमकर लूटा।
सिख इतिहास में देशराज सिंह पेज 273 पर कहतें हैं
कि यह फिर मेरठ ,देवबंद , मीरापुर के मुसलमानों को मारते −काटते सहारनपुर पंहुचे।लेखक ने सहारनपुर की कार्रवार्ई के लिए सोधना शब्द का प्रयोग
किया है। वहां से पंजाब पहुंचे।
इन्होंने बिजनौर
जनपद में नजीबाबाद के अलावा कहां −कहां कितनी मारकाट और लूट−पाट की,इसका जिक्र पुस्तक
में नही हैं।
जनपद पर दूसरा हमला
किराडिया मिसाल के धारीवाल जाट सरदार बधेल सिंह ने किया। इन्होंने जलालाबाद पर
हमला किया।उसके बाद खुरजा, चंदौसी और अलीगढ़ के मुसलमानों को परास्त किया। इसके
बाद फर्रूखाबाद पंहुचे। यहां तीन दिन लड़ाई
चली।इस लड़ाई में फर्रूखाबाद के इंसा खां को मार भगाया।
यहां से मुड़कर यह
मुरादाबाद,अनूपशहर, बिजनौर होकर पंजाब गया। इन्होंने बिजनौर में क्या किया, कितना नुकसान हुआ, इसका
कहीं जिक्र नहीं है। जिला गजेटियर इतना ही
कहता है कि दो बार सिखों ने बिजनौर पर हमला किया। किंतु किसने किया, कब किया,
कितना नुकसान किया, यह कहीं नही दिया।
कुर्रतुल ऐन हैदर ने अपनी पुस्तक कारे जहां दराज है में नहटौर पर सिखों के हमले का जिक्र
किया है। संभवतःयह बघेल सिंह के हमले की ही घटना है।इसी लूट का जिक्र उन्होंने किया
है। वह कहती हैं कि सिखों के हमले की खबर पर नहटौर के लोग जंगल भाग गए थे। डेढ दिन
लगातार नहटौर में सिखों ने पंहुचकर लूटमार की।
अशोक मधुप
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