ऐसे थे कामरेड जफर एक मई 2023 के चिंगारी सांध्य में मेरा लेख

 आज के चिंगारी सांध्य में मेरा लेख-

ऐसे थे कामरेड जफर
अशोक मधुप
बिजनौर जनपद के कस्बा झालू की ग्राम पंचायत चुनाव की एक रोचक घटना आज तक भी नहीं भूला। नहटौर क्षेत्र के ग्राम अलीपुर के रहने वाले कामरेड जफर अंसारी1968 के आसपास झालू आयेऔर राजनीति में सक्रिय हो गए। झालू जफर साहब का ननसाल था।नन्हे घुइयां इनके मामा होते थे।
कामरेड जफर ने झालू में रहकर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का गठन करना शुरू कर दिया। इस पार्टी से काफी लोग जुड़ते चले गए। धीरे-धीरे 1972 का नगर पंचायत का चुनाव आ गया।
झालू के एक हिंदू क्रेशर मालिक ने चुनाव लड़ने का निश्चय किया। उन्होंने जफर से संपर्क किया। कहा कि वह चुनाव लड़े। चौधरी साहब ने जफर को नामजदगी का पैसा तथा चुनाव लड़ने के लिए धन भी दिया।
इन महानुभाव का सोच था कि झालू में मुस्लिम आबादी ज्यादा है। यदि इस बार दो मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव लड़ जाएं तो मुसलमानों का वोट बंट जाएगा और वह अकेले हिंदू है। इसलिए हिंदुओं का एकजुट मिलने से वह जीत जाएंगे।
कामरेड जफर ने नामजद करा दी। प्रचार शुरू हो गया। जफर संपर्क में निकलते तो वे हिंदू ,मुस्लिम, दलित और वाल्मीकि सबके घर जाते । सबसे वोट मांगते । कामरेड जफर की खास बात यह थी वह किसी बाल्मीकि या दलित के यहां वाट मांगने के लिए गए। भोजन करते गृह स्वामी ने यदि कामरेड जफर को यह कह दिया खाना खा लो तो जफर उसकी चारपाई पर बैठ जाते । उसकी थाली में से रोटी उठाते सब्जी लगाकर उसी के साथ खाते। उनके इस कार्य से छोटे तबके के अधिकतर वोट प्रभावित होकर उनके साथ हो गया।मुस्लिम वोट भी उनसे जुड़ने लगा।
यह हालत देख जफर को चुनाव लड़ाने वाले महानुभावों ने जफर से बैठ जाने को कहा पर जफर ने उनकी बात नहीं मानी। पूरा चुनाव लड़ा और जीत गए।
जफर बड़ी खासियत यह थी कि वह पूरे जाड़ों घुटनों तक का चस्टर पहने रहते थे। लंबे शरीर पर वह फिट भी बैठता।
जफर चेयरमैन बन गए। उन्होंने छोटे लोगों और आम आदमी की पीने के पानी की समस्या के के लिए कार्य करना शुरू कर दिया। मध्यम वर्ग के लोगों के घरों में उस समय पीने के पानी के लिए नल लगे होते थे। बाकी के लिए मोहल्ले में कुये बने होते। सभी मोहल्लेवाले उसी से पानी भरते थे।
जफर ने टाउन एरिया बोर्ड में प्रस्ताव रखा ।कहा किपीने के पानी की समस्या के निदान के लिए पानी की टंकी लगवाई जाए। बोर्ड के अन्य मेंबर इसके पक्ष में नहीं थे। उनका कहना गया था कि नालियों से होकर पाइप के माध्यम से नालियों का गंदा पानी उनके घर तक पहुंचेगा। सो प्रस्ताव का विरोध शुरू हो गया और एक दिन उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया। जफर के हटने के बाद वाइस चेयरमैन अबदुल मालिक टाउन एरिया के कार्यवाहक चेयरमैन बन गया। अबदुल मालिक भी कम्युनिस्ट थे । छह माह बाद टाउन एरिया के दुबारा चुनाव हुए। कामरेड जफर फिर 65 वोट ज्यादा पाकर विजयी हुए और फिर चेयरमैन बन गए। मेंबरों के विरोध के कारण बे मुश्किल से अपना कार्यकाल पूरा कर पाए। फिर अविश्वास प्रस्ताव आया और 1974 मेंउन्हें हटना पड़ा।
कामरेड जफर कई साल झालू मेंसक्रिय रहे। उनका रोजगार का कोई साधन नहीं था। छोटे-छोटे बच्चे थे। मजबूरन वह दिल्ली चले गए और बताया जाता है कि मोहल्ला खुंरेजी की की एक मस्जिद में पेश इमाम बन कर रहे ।कुछ साल बाद बच्चे बड़े हो गए। कामधाम करने लगे।
इसके बाद जफर एक -दो बार तो जरूर झालू आए किंतु राजनीति से तब तक उनका वास्ता खत्म हो गया था।एक बार मेरे से मिले ।तभी टाउन यरिया के चुनाव होकर बीते थे। मेंरे से बोले – चुनाव क्यों नही लड़ा।मैंने कहा कि मैं पत्रकार हूं,चुनाव लड़ना मेरा काम नहीं।
उनके समय में किसी आंदोलन के दौरान झालू के माकपा कार्यकर्ता किसी आंदोलन में जेल में थे। जफर भी उनके साथ थे।जेल में जेलर ने जफर को देखकर पहचान लिया। उन्होंने झालू के लोगों को बतलाया कि जफर पहले मोदीनगर में मजदूरों के बड़े नेता थे। अचानक वहां से चले आए। यदि ये वहीं रहते तो एमएलए या एमपी जरूर बन गए होते।
पिछले दिनों पता चला कि उनका निधन हो गया। कामरेड जफर के साथी बदरुल हसन की जनता इंटर काँलेज बागड़पुर में नौकरी लग गई । वह वहां चले गए। और धीरे-धीरे झालू की कम्युनिस्ट पार्टी निष्क्रिय हो गई।
जफर के समय में पेयजल आपूर्ति शुरू करने के लिए प्रस्ताव लाने पर झालू टाउन एरिया बोर्ड में अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें हटा दिया गया था किंतु आज झालू में पानी की टंकी के द्वारा ही पेयजल की आपूर्ति हो रही है और सारे लोग उसी का पानी इस्तेमाल करते हैं।
अशोक मधुप

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