दादा साहब फाल्के पुरस्कार पाने वाली वहीदा रहमान कभी बिजनौर की दुल्हन बनने वाली थी
दादा साहब फाल्के पुरस्कार पाने वाली वहीदा रहमान
कभी बिजनौर की दुल्हन बनने वाली थी
अशोक मधुप
अभिनेत्री वहीदा रहमान को प्रतिष्ठित दादा साहब फालके पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। ये घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक्स पर लिखा कि उन्हें
यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि फिल्म अभिनेत्री वहीदारहमान जी को भारतीय सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए इस साल प्रसिद्ध दादासाहब फाल्के लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया जा रहा है। आज के बिजनौर को पता भी नही होगा कि इन वहीदा रहमान का बिजनौर से गहरा नाता रहा है।ये बिजनौर की दुल्हन बनने वाली थीं। मंगनी हो गई थी किंतु दुल्हे के पहले ही शादीशुदा होने के कारण यह शादी नही हो सकी। इनके पति ने धामपुर में टैल्कम पाउडर बनाने की एक फैक्ट्री भी लगाई थी। वहीदा रहमान काफी समय तक लगातार धामपुर आती −जाती रही ।धामपुर प्रवास के दौरान ये फैक्ट्री में ही अपने लिए भवन में रहती थीं।
उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद के नजीबाबाद के एक रईस हुए हैं अहसान साहब। इनके पिता हाफिज अहमद हुसैन का 1960 के आसपास नजीबाबाद में लकड़ी का बड़ा कारोबार था। हाफिज अहमद हुसैन के बेटे अहसान साहब के रिश्ते दूर – दूर तक रिश्ते थे। उस समय तक शिकार पर पाबंदी नही थी । इसी कारण शिकार के शौकीन काफी विदेशी इनके पास आते रहते थे। इन सब के कारण अहसान साहब की बड़ी प्रशंसा थी। समाज के सम्मानित लोगों में इनका नाम था ।इन अहसान साहब की वहीदा रहमान से शादी तै हो गई। बिजनौर के पुराने जानकार के अनुसार मंगनी हो चुकी थी। बिजनौर की रहने वाली जानी मानी लेखिका कुरतुल एन हैदर और वहीदा रहमान में गहरी दोस्ती थी। वहीदा रहमान ने कुरतुल एन हैदर को अहसान साहब के बारे में जानकारी करने के लिए बिजनौर भेजा। कुरतुल एन हैदर को वहीदा रहमान की कोठी के लिए कुछ परदे भी लेने थे। वह अपने जन्म स्थल नहटौर आईं। जैन कपड़ा फैक्ट्री से परदे खरीदे।
इसी दौरान जानकारी करने पर कुरतुल एन हैदर को पता चला कि अहसान साहब पहले ही शादीशुदा हैं। यह पता चलने पर ये शादी नही हुई। किशार और वन कटान पर रोक लगने के बाद में अहसान साहब दिल्ली में रहने लगे। वहां 23 नवंबर 2020 को उनका इंतकाल हो गया।
यूं तो वहीदा ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत तेलुगु सिनेमा से की थी, लेकिन उन्हें हिंदी सिनेमा में पहला ब्रेक फिल्म सीआईडी से मिला । इस फिल्म में उन्होंने नेगेटिव भूमिका अदा की थी। इस फिल्म में वहीदा के साथ गुरु दत्त नजर आये थे, गुरु दत्त और वहीदा ने मिलकर कई फिल्मों में काम किया। इनमे प्यासा, कागज के फूल, चौदहवीं का चाँद, साहिब-बीवी और गुलाम शामिल है।
कहा जाता है कि, इन फिल्मों के बीच दोनों के प्रेम प्रसंग ने खूब सुर्खियां बटोरीं ।रिपोर्ट्स की माने तो फिल्म सीआईडी के समय से ही गुरु दत्त और वहीदा दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे. गुरु दत्त वहीदा के प्यार में इस कदर डूबे हुए थे कि वह फिल्म में उनके साथ अपने अलग सीन्स लिखवाते थे। गुरु दत्त पहले से शादीशुदा थे जब उनकी पत्नी गीता को इस बारे में पता चला था तो वह टूट गई । उस वक्त गुरु ने प्रेमिका की जगह पत्नी को चुना । वहीदा से अलग होकर गुरूदत्त टूट गए और 10 अक्टूबर 1964 को गुरु दत्त ने आत्महत्या कर ली । वहीदा रहमान अब अकेली रह गयीं। हालांकि जीवन के इस मोड़ पर वहीदा ने हार नहीं मानी, और अपने फिल्मी करियर पर ध्यान दिया, जिसके नतीजे में उन्हें 1965 में फिल्म 'गाइड' के फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया। इसके बाद वहीदा का करियर एकबार फिर से ऊंचाई पर था।
वहीदा रहमान अपने करियर के पीक पर थी। 1964 में फिल्म शगुन में वहीदा रहमान और कमलजीत ने साथ काम किया। कमलजीत इस फिल्म में हीरो थे। दोनों के आपस में संपर्क में आने के बाद इन्होंने शादी करने का फैसला लिया था। उनका परिवार इस शादी के राजी नहीं था। वहीदा रहमान ने परिवार के खिलाफ जाकर 1974 में कमलजीत से शादी की थी।
इनके पति कमलजीत ने उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद के धामपुर शहर में धामपुर शुगर मिल के सामने पाउडर बनाने की फैक्ट्री लगाई। ये फैक्ट्री माइक्रो नाम से टैलकम पाउडर बनाती थी। यह फैक्ट्री लंबे समय तक चली। बाद में नुकसान देना शुरू कर दिया। सन 2000 में कमलजीत का निधन हो गया।फैक्ट्री नुकसान में थी।सो 2008 में धामपुर चीनी मिल और एक और व्यापारी को बेच दी गई।आज यहां काँलोनी है।
इस माइक्रो फैक्ट्री में फैक्ट्री स्वामी कमलजीत और वहीदारहमान के लिए शानदार निवास बना था। फैक्ट्री चलने के दौरान वहीदारहमान कई बार धामपुर आईं।इस फैक्ट्री को बिके लगभग 15 साल हो गए, इसके बावजूद ये फैक्ट्री आज भी वहीदा रहमान की फैक्ट्री के नाम से जानी जाती है।
अमर उजाल ाके अनुसार उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के मूल निवासी समाजसेवी एवं कारोबारी फरीद अहमद उर्फ अहसान मियां का 23 नंवबर 2020 को दिल्ली में इंतकाल हो गया। वह 84 वर्ष के थे। मशहूर फिल्म अभिनेत्री वहीदा रहमान से मंगनी होने पर अहसान फिल्म इंडस्ट्री और देश-विदेश में चर्चाओं में रहे।
नजीबाबाद के मोहल्ला नवाबगंज निवासी समाजसेवी एवं कारोबारी फरीद अहमद लंबे अर्से से दिल्ली में रह रहे थे। रविवार सुबह आठ बजे दिल्ली में उन्होंने आखिरी सांस ली। हाफिज अहमद हुसैन के पुत्र फरीद अहमद उर्फ अहसान मियां दिल्ली जिमखाना क्लब के सदस्य रहे। उनका फिल्म इंडस्ट्री में 70 के दशक में काफी दखल रहा।मशहूर अभिनेत्री वहीदा रहमान से नजदीकियां बढ़ने के साथ वर्ष 1973 में अहसान मियां से वहीदा रहमान से मुंबई में धूमधाम के साथ मंगनी हुई। अभिनेत्री वहीदा रहमान से मंगनी के बाद नजीबाबाद और अहसान मियां को देश विदेश में काफी पहचान मिली।मंगनी के चंद महीनों बाद दोनों के बीच रिश्तों में दरार आई और वहीदा रहमान ने अप्रैल 1974 में कंवलजीत सिंह से विवाह किया।फरीद अहमद उर्फ अहसान मियां को रविवार को दोपहर बाद दिल्ली में सुपुर्दे खाक किया गया। अहसान मियां की दोनों बेटियां नादिया और फराह मुंबई में रहती हैं।
फरीद अहमद उर्फ अहसान मियां
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