मोटा महादेव
मोटा महादेव
नजीबाबाद हरिद्वार मार्ग पर साहनपुर कस्बे के बाहर सड़क
किनारे स्थित मोटा महादेव शिवालय एक
प्रसिद्ध एवं सिद्ध स्थल है।इस मार्ग से
हरिद्वार से कावंड लेकर आने वाले
कांवडियां यहां जल चलाकर आने अपने गंतव्य
की ओर बढ़ते हैं। मान्यता है कि
यहां जल चढाए बिना कांवड यात्रा
पूर्ण नही होती।
मान्यता है कि खेत
की सफाई के दौरान मंदिर में लगा शिव लिंग मिला1
मंदिर के पुजारी शशिनाथ के अनुसार
दिर के स्थान पर पहले जंगल था। लगभग
दो सौ साल से भी पहले क्षेत्र की
सफाई कराते यहां जमीन से
ये विशाल शिवलिंग निकला।शिवलिंग
मिलने की सूचना चारों और फैल गई।श्रद्धालु आने
लगे।साहनपुर स्टेट के राजाओं ने मंदिर बनवाया। राजा चतर सिंह ने मंदिर को वर्तमान रूप दिया।
मंदिर प्रांगण में भैरों बाबा का भी मंदिर है।
शिवलिंग बहुत मोटा
और पुरूष के लिंग के अग्रभाग की तरह बना है।लिंग इतना मोटा है कि आम आदमी की कौली में नही आ सकता ।
शिवलिंग पर लिंग की तरह का वलय भी
बना है। वरिष्ठ
पत्रकार मुकेश सिंहा का कहना है कि
राजा मोरध्वज शिव के उपासक थे। उन्होंने क्षेत्र में बहुत कई शिवालय मनवाए। मोट महादेव की तरह के दो शिवलिंग
मोरध्वज क्षेत्र में मिले हैं।उनका मानना है मुस्लिम काल में आक्रांन्ताओं ने इन शिवालयों और मंदिरों का ध्वस्त कर
दिया।खेतों की सफाई के दौरान अब जैसे− जैसे
ये शिवालय निकल रहे हैं, श्रद्धालू
यहां उपासना स्थल विकसित कर रहे हैं।
मान्यता है कि
हरिद्वार से कांवड कर आन वाले कांवडियों के यहां शिवालय पर जल चढाते ही पांव के छाले ठीक होने लगते हैं।ये भी
मान्यता है कि मंदिर पर जलाभिषेक के
बाद कावंडिए को भैरव जी का सोटा लगने से
उसकी सारी थकान दूर हो जाती है और वह पूर शथकत से अपनी यात्रा पर चल
पड़ते हैं।
हरिद्वार से कांवड़
लेकर आने वाले शिवभक्तों का पहला पड़ाव मोटा महादेव ही होता है। मंदिर पर
जलाभिषेक के बाद ही कांवडिए आगे बढते हैं। *
*हिंदुस्तान हिंदी 20 फरवरी 2020
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